चंद अशआर : शेर शायरी
शेर शायरी में आज कुछ शेर... मेरी कलम से
शेर-शायरी #1
लगी है शर्त मेरी आज फिर ज़माने से।
रोक सकता है मुझे कौन मुस्कुराने से।।
शेर-शायरी #2
कभी दिन में तो कभी रात में आ जाता है।
कभी ख़्वाहिश कभी जज़्बात में आ जाता है।।
लाख समझाऊँ, करूँ कोशिशें भुलाने की।
नाम उसका मेरी हर बात में आ जाता है।।
शेर-शायरी #3
बेचैनी का आलम कब तक साथ चलेगा।
उसका साया कब तक मेरे साथ चलेगा।।
बीत गयीं जो बातें, लम्हे गुजर गए।
उन लम्हों का मंज़र कब तक साथ चलेगा।।
किताबे दिल के पन्नों पर मोहब्बत सा है कुछ शायद।
फलक पे कुछ धुआँ सा है, ज़मीं कुछ कुछ थमीं सी है।।
शेर-शायरी #5
दिलो दिमाग़ पे तारी बड़ी लाचारी है।
मेरी एहसास पे भारी मेरी ख़ुद्दारी है।।
शेर-शायरी #6
गुलों में रंग है, रौनक़ है और ख़ुशबू है।
कि ज़िन्दगी का सबब तू है और बस तू है।।
शेर-शायरी #1
लगी है शर्त मेरी आज फिर ज़माने से।
रोक सकता है मुझे कौन मुस्कुराने से।।
शेर-शायरी #2
कभी दिन में तो कभी रात में आ जाता है।
कभी ख़्वाहिश कभी जज़्बात में आ जाता है।।
लाख समझाऊँ, करूँ कोशिशें भुलाने की।
नाम उसका मेरी हर बात में आ जाता है।।
बेचैनी का आलम कब तक साथ चलेगा।
उसका साया कब तक मेरे साथ चलेगा।।
बीत गयीं जो बातें, लम्हे गुजर गए।
उन लम्हों का मंज़र कब तक साथ चलेगा।।
शेर-शायरी #4
ये दिल में दर्द कैसा है, क्यों आँखों में नमी सी है।
मैं क्यों बेचैन रहता हूँ, मुझे किसकी कमी सी है।।ये दिल में दर्द कैसा है, क्यों आँखों में नमी सी है।
किताबे दिल के पन्नों पर मोहब्बत सा है कुछ शायद।
फलक पे कुछ धुआँ सा है, ज़मीं कुछ कुछ थमीं सी है।।
शेर-शायरी #5
दिलो दिमाग़ पे तारी बड़ी लाचारी है।
मेरी एहसास पे भारी मेरी ख़ुद्दारी है।।
शेर-शायरी #6
गुलों में रंग है, रौनक़ है और ख़ुशबू है।
कि ज़िन्दगी का सबब तू है और बस तू है।।
बालकृष्ण द्विवेदी 'पंकज'
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