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ग़ज़ल-प्यार को दोस्ती बताता हूँ

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प्यार को दोस्ती बताता हूँ। झूठ यूँ दिल से बोल जाता हूँ।। जब भी सोचूँ उसे तन्हाई में। बाख़ुदा खुद को भूल जाता हूँ।। उसकी बातें जो याद आती हैं। मैं अकेले में मुस्कुराता हूँ।। कभी हारूँ नहीं मैं दिल अपना। हाँ मगर दिल से हार जाता हूँ।। आँच आये न उसके दामन पर। अपनी ही लौ में सुलग जाता हूँ।। बालकृष्ण द्विवेदी 'पंकज' दोस्त! ग़ज़ल कैसी लगी; कमेंट  करके बताइएगा।