भजन-पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।।
जनम-जनम की पूँजी पाई।
जग में सभी खोआयो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
खरचे न खूटे वाको चोर न लूटे।
दिन दिन बढ़त सवायो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
सत की नाव खेवटिया सतगुरु।
भवसागर तर आयो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर।
हरष-हरष जस गायो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
वस्तु अमोलिक दी म्हारे सतगुरु।
किरपा कर अपनायो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
किरपा कर अपनायो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
जनम-जनम की पूँजी पाई।
जग में सभी खोआयो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
खरचे न खूटे वाको चोर न लूटे।
दिन दिन बढ़त सवायो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
सत की नाव खेवटिया सतगुरु।
भवसागर तर आयो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर।
हरष-हरष जस गायो।।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
'मीराबाई'
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