वायु प्रदूषण और पीएम 2.5 | PM2.5


वायु प्रदूषण और पीएम 2.5  ऐसे शब्द हैं जो इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। आइये हम वायु प्रदूषण के ही सन्दर्भ में पीएम 2.5 के बारे में जानते हैं

वायुमण्डल हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। वायुमण्डल से ही हम अपने जीवन के लिए अनिवार्य प्राणवायु ग्रहण करते हैं जिसे वैज्ञानिक शब्दावली में ऑक्सीजन (O2) के नाम से जाना जाता है। यह प्राणवायु हमारे लिए कितनी आवश्यक है इस बात का अनुमान ऐसे कर सकते हैं कि-
"बिना भोजन के हम २० दिनों तक जीवित रह सकते हैं। बिना जल के ७ दिनों तक जीवित रहा जा सकता है। किन्तु प्राणवायु के अभाव में मनुष्य ७ मिनट भी जीवित नहीं रह सकता।"

यही प्राणदायिनी वायु आज इतनी विषैली होती जा रही है कि हमारे प्राणों के लिए ही घातक बन गयी है।

इन दिनों ये ख़बरें लगातार सुर्ख़ियों में हैं कि भारत के अमुक राज्य में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। चारों तरफ स्मॉग फैला हुआ है। पूरा परिक्षेत्र गैस चैम्बर में तब्दील हो गया है। स्कूल, कॉलेज तक बंद करने की नौबत आ गयी है। इस दौरान वायु में पीएम2.5 की मात्रा मानक से १० गुना तक ज्यादा पाई गयी है।

धूल और धुएँ के सम्मिलित रूप को स्मॉग कहते हैं।
स्मोक + फॉग = स्मॉग | smoke+fog=smog

क्या है पीईम2.5 ?

पीएम 2.5 (PM2.5) अंग्रेजी के Atmospheric particulate matter (एटमोस्फेरिक पार्टिकुलेट मैटर) का संक्षिप्त रूप है। पीएम 2.5 से आशय वायुमंडल में मौजूद उन हानिकारक कणों से है जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी कम होता है। यह पीएम10 का भी चौथाई हिस्सा होता है।

"पीएम 2.5 उस कण को कहते हैं जिसका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है।"

पीएम2.5 का आकार कितना कम है इसका अनुमान आप ऐसे लगा सकते हैं कि यह बालों की मोटाई का मात्र ३ प्रतिशत होता है। इतने छोटे कणों को शरीर के भीतर प्रवेश करने से रोक पाना बहुत मुश्किल होता है।

पीएम 2.5 कैसे बनते हैं ?

इस समय सबसे बड़ी चिल्लपों इस बात को लेकर है कि पार्टिकुलेट मैटर किसानों द्वारा किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली (फसलों के अवशेष) के कारण उत्पन्न होता है। हालाँकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि फसलों का जलाया जाना इसका एक कारण है किन्तु इसके आलावा भी कई अन्य कारण हैं जिनसे पार्टिकुलेट मैटर वायुमंडल में मिलता है। जैसे-
  • मोटर गाड़ियों और वायुयानों से निकलने वाला धुआँ।

  • पॉवर प्लांट्स से उत्सर्जित होने वाली विषैली गैसें जैसे  सल्फ़र डाई ऑक्साइड ।

  • जंगलों में लगने वाली आग।

  • कूड़े और टायरों आदि को जलाना।

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटान से भी इनका अवशोषण कम होता है और वायुमंडल प्रदूषित होता है।

  • सड़कों पर उड़ने वाली धूल और भवन निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली गंदगी इत्यादि।



पीएम 2.5 क्यों है खतरनाक?


जैसा कि हम जानते हैं जो वस्तु जितनी हल्की होगी, वायुमंडल में उतनी ही ज्यादा देर तक रहेगी। चूँकि पीएम 2.5 बेहद हलके कण होते हैं इसलिए ये हवा में लंबे समय तक बने रहते हैं। इस कारण इनके साँस के जरिये शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

ये कण इतने छोटे होते हैं कि नाक और गले को पार करते हुए ये हमारे श्वसन तंत्र तक पहुँच सकते हैं। और तो और इनके रुधिर परिसंचरण तंत्र तक पहुँचने की भी संभावनाएँ होती हैं।

"पीएम २.५ जानवरों और पशु-पक्षियों के लिए भी उतना ही खतरनाक है जितना मनुष्यों के लिए।"
अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि ये पीएम 2.5 किस हद तक खतरनाक हैं। इनसे फेफड़े और श्वास सम्बन्धी रोग तो होते ही हैं इसके अलावा हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। आँखों तथा गले में जलन जैसे सामान्य लक्षण भी आसानी से देखने को मिलते हैं।

छोटे बच्चों, साँस के मरीजों और वयोवृद्ध लोगों के लिए यह खतरा और भी ज्यादा होता है।

शोधों से यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि वायु प्रदूषण के कारण जीवन-प्रत्याशा (अनुमानित आयु) लगातार घट रही है।

कैसे बचा जाय इस खतरे से ?

वैसे तो वायु प्रदूषण से बचने के लिए वृहद् स्तर पर त्वरित प्रयासों की आवश्यकता है, तभी इस समस्या से निपटा जा सकता है।

फिर भी हम व्यक्तिगत स्तर पर कुछ सावधानियाँ अपनाकर इसके दुष्प्रभावों से काफी हद तक बच सकते हैं। जैसे-
  • अत्यधिक प्रदूषण की स्थिति में घर के अंदर ही रहने की कोशिश करें।

  • ऐसे खिड़की-दरवाजे यथासंभव बंद रखें जिनसे प्रदूषित वायु घर के अंदर प्रवेश कर सके।

  • बंद कमरे में धूप, अगरबत्ती इत्यादि न जलाएँ। अन्यथा की स्थिति में इनका प्रयोग कम से कम करें।

  • कूड़े और टायर जैसी वस्तुओं को कभी न जलाएँ। उन्हें सही जगह पर निस्तारित करें।

  • अपने घर के आसपास ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और वनस्पतियाँ उगाएँ। ये प्रदूषण को अवशोषित करते हैं।

  • एयर प्योरीफायर का प्रयोग करें। ध्यान रखें प्योरीफायर HEPA (हेपा) फ़िल्टर से युक्त हो।

  • घर से बाहर निकलते समय अच्छी गुणवत्ता का मास्क पहनें।

  • यदि आप किसान हैं तो कृपया खेतों में फसलों के अवशेष न जलाएँ। उन्हें खेत में ही सड़ाकर अच्छी खाद बनायी जा सकती है।

"अपनी जिम्मेदारी निभाएँ ; प्रदूषण न फैलाएँ "।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

चार वेद, छ: शास्त्र, अठारह पुराण | 4 Ved 6 Shastra 18 Puranas

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की ओजपूर्ण कविता- कलम आज उनकी जय बोल

हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर [करियर] Career in Hindi language